तीर निशाना साधा नभका और हम आगे बढ़ते गए
राह रोककर कृष्णकन्हैया हमसे बोले कहाँ चले
कुछ तो न्यारे बन जाओ जगके प्यारे बन पाओ
इस जगमे आए होतो कुछ तो ऐसा कर जाओ
जग तुमको याद करे ऐसी करनी करते जाओ
छैल छबीली तिरछी मूरत ऐसी भाई तन मनको
अहंकार कब छूट गया पता न चला हमको
राह रोककर कृष्णकन्हैया हमसे बोले कहाँ चले
कुछ तो न्यारे बन जाओ जगके प्यारे बन पाओ
इस जगमे आए होतो कुछ तो ऐसा कर जाओ
जग तुमको याद करे ऐसी करनी करते जाओ
छैल छबीली तिरछी मूरत ऐसी भाई तन मनको
अहंकार कब छूट गया पता न चला हमको